बलप्पा कभी बीएमसी में सफ़ाईकर्मी हुआ करते थे, लेकिन अब वह खुद को ‘कारीगर’ कहलाना पसंद करते हैं — वह दशकों से मुंबई की सड़कों पर बैठकर पत्थर तोड़ने का काम कर रहे हैं — हालांकि अब उनके चटनी पीसने वाले ओखल-मूसल को खरीदने वाले कम लोग ही बचे हैं
आकांक्षा, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर रिपोर्टर और फ़ोटोग्राफ़र कार्यरत हैं. एजुकेशन टीम की कॉन्टेंट एडिटर के रूप में, वह ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को उनकी आसपास की दुनिया का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए प्रशिक्षित करती हैं.
Translator
Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।