लुप्त-होती-मनीराम-की-बांसुरी-ओरछा-के-जंगल

Narayanpur, Chhattisgarh

Feb 24, 2021

ओरछा के लुप्तप्राय जंगल और मनीराम की बांसुरी

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर ज़िले के गोंड आदिवासी और पेशे से बांसुरी बनाने वाले, मनीराम मंडावी उस समय को याद करते हैं, जब जंगल ढेर सारे जानवरों, पेड़ों, और उस बांस से भरे हुए थे जिससे वह एक ख़ास तरह की ‘घुमाने वाली बांसुरी’ बनाते हैं

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Author

Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।