भारतीय लोकतंत्र का महापर्व कहे जाने वाले लोकसभा चुनावों पर एक कवि का बयान हमें बताता है कि कैसे चुनावों में आम अवाम के अधिकारों को छोड़कर बाक़ी सारी बातें की जाती हैं
मौमिता आलम, पश्चिम बंगाल की कवि हैं. उनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं - ‘द म्यूज़िंग्स ऑफ़ द डार्क’ और ‘पोएम्स ऐट डेब्रेक’. उनके कविताओं का तेलुगु और तमिल में भी अनुवाद किया जा चुका है.
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Antara Raman
अंतरा रमन, सामाजिक प्रक्रियाओं और पौराणिक कल्पना में रुचि रखने वाली एक इलस्ट्रेटर और वेबसाइट डिज़ाइनर हैं. उन्होंने बेंगलुरु के सृष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट, डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजी से स्नातक किया है और उनका मानना है कि कहानी और इलस्ट्रेशन की दुनिया सहजीविता पर टिकी है.
Editor
Pratishtha Pandya
प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.
Translator
Devesh
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.