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Palamu, Jharkhand

Jul 10, 2025

मवेशियों के गले में घंटी बांधने वाले कारीगर

मवेशियों के गले में बांधी जाने वाली हस्तनिर्मित घंटियों की गूंज अब मद्धिम पड़ने लगी है, लेकिन रघुवीर विश्वकर्मा जैसे घंटी बनाने वाले कारीगर इस पारंपरिक कला को जीवित रखे हुए हैं और गुज़र-बसर के लिए अपनी छोटी सी ज़मीन पर खेती करते हैं

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Author

Ashwini Kumar Shukla

अश्विनी कुमार शुक्ला, झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार हैं, और नई दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (2018-2019) से स्नातक कर चुके हैं. वह साल 2023 के पारी-एमएमएफ़ फ़ेलो हैं.

Editor

Kavitha Iyer

कविता अय्यर, पिछले 20 सालों से पत्रकारिता कर रही हैं. उन्होंने 'लैंडस्केप्स ऑफ़ लॉस: द स्टोरी ऑफ़ ऐन इंडियन' नामक किताब भी लिखी है, जो 'हार्पर कॉलिन्स' पब्लिकेशन से साल 2021 में प्रकाशित हुई है.

Photo Editor

Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

Translator

Pratima

प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.