खुद-को-फांसी-लगाने-का-कोई-मतलब-नहीं-है

Nashik, Maharashtra

Mar 12, 2019

‘खुद को फांसी लगाने का कोई मतलब नहीं है...’

महाराष्ट्र के अपेक्षाकृत संपन्न किसान, जो अच्छी सब्ज़ियां और फूल उगाने के लिए छायादार जालियों या पॉली-हाउस का इस्तेमाल करते हैं, वे भी कई बार संकट में फंस जाते हैं, और समाज में बदनामी के डर से उसके बारे में बताते नहीं हैं

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Author

Jaideep Hardikar

जयदीप हार्दिकर, नागपुर के वरिष्ठ पत्रकार हैं और पारी के घुमंतू रिपोर्टर हैं. उन्होंने 'रामराव: द स्टोरी ऑफ़ इंडियाज़ फार्म क्राइसिस' नामक किताब लिखी है. साल 2025 में, जयदीप को रामोजी उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह में उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार से नवाज़ा गया. यह पुरस्कार "सार्थक, ज़िम्मेदार और प्रभावशाली पत्रकारिता की दिशा में उनके योगदान” के लिए दिया गया, जो लोगों को “सामाजिक जागरूकता, करुणा और बदलाव के लिए प्रेरित करता है."

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।