मेरे काका और काकी, जो पालघर जिले की वारली बस्ती में रहते हैं, वे मौसम की अनिश्चितता, पानी की कमी और हानि के कारण पहाड़ी के करीब स्थित अपने खेत में सब्ज़ियां उगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं – जबकि यही उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है
ममता परेड (1998-2022) एक पत्रकार थीं और उन्होंने साल 2018 में पारी के साथ इंटर्नशिप की थी. उन्होंने पुणे के आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी. वह आदिवासी समुदायों, ख़ासकर अपने वारली समुदाय के जीवन, आजीविका और संघर्षों के बारे में लिखती थीं.
Translator
Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।