हमने-उसका-ख़ून-ज़्यादा-नहीं-बहाया

Mumbai, Maharashtra

Sep 07, 2020

'नॉर्मल' की ओर लौटने को बेचैन ग़रीबों का ख़ून चूसने वाले जोंक

कोविड के हालिया संकट में ज़्यादा चिंता की बात यह नहीं है कि हम कितनी जल्दी पहले जैसी सामान्य स्थितियों की तरफ़ लौटेंगे. जिसे 'सामान्य' स्थिति बताया जाता है, दरअसल वह करोड़ों ग़रीब भारतीयों के लिए समस्याओं की जड़ रहा है. 'न्यू नॉर्मल' भी पुराना 'नॉर्मल' ही है

Translator

Qamar Siddique

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Author

P. Sainath

पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.

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Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।