चरवाहों का समुदाय अपने पशुओं के ऊन से कई तरह की उपयोगी चीजें बनाता है, लेकिन उनके बनाए सामानों की मांग में गिरावट के साथ-साथ इस कारीगर चरवाहों का जीवन भी कठिन होता जा रहा है
रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.
Author
Ovee Thorat
ओवी थोराट एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं, और घुमंतू जीवन व राजनीतिक पारिस्थितिकी में गहरी दिलचस्पी रखती हैं.
Editor
Punam Thakur
पूनम ठाकुर दिल्ली की एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिन्हें पत्रकारिता और संपादन का पर्याप्त अनुभव है.
Photo Editor
Binaifer Bharucha
बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.
Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.