बेंगलोर की 23 वर्षीया सरस्वती घर-घर घूम कर अल्मूनियम के बर्तनों के बदले लोगों के बाल इकट्ठे करने का काम करती हैं. यह उनको बारहों महीने का काम है. उनकी इसी कहानी को यहाँ चित्रांकित किया गया है
रिया शाह ने आर्ट, डिजाइन और टेक्नोलॉजी, सृष्टि मनिपाल इंस्टीट्यूट से इन्फोर्मेशन आर्ट्स और इन्फोर्मेशन डिजाइन प्रैक्टिसेज में अंडरग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की है.
Editor
Sanviti Iyer
संविति अय्यर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर कंटेंट कोऑर्डिनेटर कार्यरत हैं. वह छात्रों के साथ भी काम करती हैं, और ग्रामीण भारत की समस्याओं को दर्ज करने में उनकी मदद करती हैं.
Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.