पंजाब में गुरमेल जैसे दलित कारीगर दुधारू पशुओं के लिए गेहूं के डंठल रखने वाले कुप्प बनाते हैं. हालांकि पशुचारे के भंडारण को लेकर लिखी गई यह कहानी राज्य में बदलती हुई खेती और पशुपालन के हालात को उजागर करती है
उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ की महिलाएं अब काम पर जाते वक़्त अपने बच्चों को शिशुगृहों या लइका घरों में छोड़ सकती हैं. इसका उनके जीवन और उनके बच्चों की सेहत पर गहरा असर पड़ा है. बाल दिवस 2025 के मौक़े पर एक कहानी
पवित्र स्थलों पर प्रस्तुत किए जाने वाले असम के पारंपरिक धार्मिक रंगमंच भाओना में वंचित जातियां, आदिवासी और महिला कलाकार अब जातिवादी और लैंगिक अपमान को झटकते हुए अपनी जगह बना रही हैं
बिहार की राजधानी में बनी हर स्वादिष्ट बाक़रख़ानी रोटी, पप्पा बिस्किट और खाजा मिठाई अपनेआप में एक कहानी समेटे हुए हैं, जिसके पीछे किसी न किसी की आजीविका की लड़ाई छिपी है. कारीगरों की मेहनत और उनके कौशल को तो आसानी से भुला दिया जाता है, लेकिन उनकी अपनी कला के प्रति निष्ठा और परंपरा जीवित रहती है
Ali Fraz Rezvi, Kavitha Iyer, Binaifer Bharucha, Shreya Katyayini, Pratima
सनई की रस्सी से बेहतर ज़िंदगी की उम्मीद बुनतीं पलामू की औरतें
जलवायु परिवर्तन के कारण झारखंड के पलामू ज़िले में खेतिहर उपज पर असर पड़ा है. इसके चलते बरांव गांव में मल्लाह समुदाय की फगुनी देवी और दूसरी महिलाएं कुछ अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए सनई के रेशे से रस्सी बुन रही हैं