मावली मेला नारायणपुर में हर साल आयोजित होने वाला एक त्यौहार है जिसमें आदिवासी देवी-देवताओं और उनके अनुयायियों की भीड़ जुटती है और एक साथ मिलकर ये त्यौहार मनाती है. यह सामुदायिक जश्न और आपसी मेल-जोल का आयोजन है, जो छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले की बहुलतावादी परंपराओं की जड़ है
‘क्या उम्मीद रखें सरकार से? सबकुछ तो अफ़सर डकार जाते हैं!’
उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में हर साल बाढ़ आती है, जिसमें कई परिवारों की ज़िंदगियां प्रभावित होती हैं. फिर भी न बाढ़ में फंसे लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने की योजनाएं बनाई जाती हैं और न ही पर्याप्त राहत शिविर स्थापित किए जाते हैं
उम्मीदों व कड़वी हक़ीक़तों से दो-दो हाथ करता दलित कलाकार
एक दलित लोक कलाकार अपनी जातिगत स्थिति के कारण जन्म से ही जिस नसीब की क़ैद में जूझता रहा है उससे निकलना चाहता है, और इसके लिए वह शिक्षा की ओर रुख़ करता है. लेकिन फिर से उसी जाल में फंस जाता है. यह डॉक्यूमेंट्री उस दलित कलाकार की अपने नसीब के साथ जारी सतत संघर्ष की कहानी है.